चंडीगढ़ प्रशासन अगर नहीं माना तो जाएंगे अदालत में, होगा जनांदोलन: यूवीएम
चंडीगढ़ प्रशासन अगर नहीं माना तो जाएंगे अदालत में, होगा जनांदोलन: यूवीएम
-प्रशासन को कैपिटल ऑफ पंजाब डव्लपमेंट एवं रेगुलेशन एक्ट-1952 में संशोधन का अधिकार नहीं
-चंडीगढ़, केंद्र शासित क्षेत्र, यहां लागू अधिनियम में संशोधन का अधिकार केवल संसद को
- प्रशासन बिल्डिंग वायलेशन ओर मिसयूज को करे परिभाषित
चंडीगढृ, 16 अप्रैल: उद्योग व्यापार मंडल चंडीगढ़ (रजि) (यूवीएम) ने चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा पंजाब राजधानी विकास एवं नियमन अधिनियम-1952 (कैपिटल ऑफ पंजाब डव्लपमेंट एवं रेगुलेशन
एक्ट-1952) में संसोधन कर एक्ट की धारा 13,14,व 15 में उल्लेखित जुर्माना राशि मे चालीस हजार फीसदी की बढ़ोतरी किये जाने व इसको बिल्डिंग वॉयलेशन व मिसयूज ऑफ प्रीमाईसीस बताए जाने के प्रस्तावित कदम का विरोध करते हुये इसे असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण बताया है।
इस मामले में यूवीएम द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के आयोजन किया गया जिसमें यूवीएम के अध्यक्ष कैलाश जैन ने प्रशासन के इस फैसले को बिना सोच समझे, कानूनी पड़ताल किये बगैर जल्दबाजी में लिया गया बताया और इसे तत्काल वापिस लेने की मांग की।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़, एक केंद्र शासित क्षेत्र है तथा यहां जो भी कानून लागू हैं उनमें कोई भी बदलाव करना केंद्र सरकार के क्षेत्राधिकार में है और इसे केवल संसद के माध्यम से ही किया जा सकता है। अगर स्थानीय प्रशासन इसके बावजूद ऐसा मनमाना कदम उठाता है तो यह न केवल प्रक्रियात्मक तौर पर गलत और असंवैधानिक होगा बल्कि
यह उद्योगपतियों, व्यापारियों और आम जनता के प्रति अन्यायपूर्ण भी होगा तथा इसका अदालत से लेकर सड़कों पर विरोध किया जाएगा।
श्री जैन ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन की गलत और मनमानी नीतियों के कारण पहले से ही यहां के उद्योगपति और व्यापारी परेशान है। इसके अलावा कोरोनाकाल के दौरान उद्योग और व्यापारिक गतिविधियों बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। ऊपर से प्रशासन का यह प्रस्तावित कदम उद्योग एवं व्यापार की कमर तोड़ने और इसे खत्म करने वाला साबित होगा।
उन्होंने कहा कि प्रशासन के एस्टेट कार्यालय ने गत छह अप्रैल को एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर भवन नियमों के उल्लंधन और परिसरों के दुरूपयोग को लेकर जुर्माना राशि बढ़ाने के लिये उक्त अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव की जानकारी दी थी तथा इस सम्बंध में आपत्तियां और सुझाव मांगे गये थे। जबकि यह अधिनियम बिल्डिंग वॉयलेशन ओर मिसयूज ऑफ प्रीमाईसीस जुर्माने से सम्बंधित है ही नही । इस तरह की पेनलिटी एस्टेट रूल्स के तहत लगाई जाती है।
कैलाश जैन का कहना है कि यह अधिनियम पंजाब विधानमंडल ने बनाया था और पंजाब पुनर्गठन अधिनियम-1966 के माध्यम से चंडीगढ़ केंद्र शासित क्षेत्र में लागू किया गया। प्रशासन के पास इस अधिनियम को संशोधित करने का नहीं बल्कि इसके तहत केवल उपनियम बनाने का ही अधिकार है। इसके अलावा मूल अधिनियम की धारा 13,14 और 15 में भवन नियमों के उल्लंघन और परिसरों के दुरूपयोग पर जुर्माना लगाने का कहीं उल्लेख नहीं है बल्कि इनका वृक्षों के संरक्षण, विज्ञापन नियंत्रण और अन्य नियमों, निर्देशों और आदेशों के उल्लंघन से सम्बंध है।
उन्होंने कहा कि इस अधिनियम और चंडीगढ़ सम्पदा(एस्टेट) नियमों में भवन उल्लंघन और परिसर दुरूपयोग के लिये जुर्माना लगाने के प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं लेकिन जुर्माना राशि अधिक होने की वजह से इसको अदालत में चुनौती दी गई थी जिस पर अदालत ने जुर्माना राशि को तर्कसंगत बनाने ओर स्टेक होल्डर्स को राहत देने के उद्देश्य से स्थानीय सांसद की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। लेकिन प्रशासन जुर्माना राशि को तर्कसंगत बनाने के बजाय अब अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव ला रहा है जिसमें जुर्माना राशि को वर्तमान 500 रूपये से 400 गुणा बढ़ा कर दो लाख रूपये तथा प्रत्येक दिन के लिये 20 रूपये अतिरिक्त जुर्माना राशि बढ़ा कर आठ हजार रूपये करने की बात कही गई है जबकि ऐसा करना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बेतहाशा वृद्धि उद्योगपति और व्यापारी वर्ग समेत आम जनता का शोषण और इनके प्रति अन्याय तथा असंवैधानिक कदम होगा जिसे कदापि स्वीकार नहीं किया जा सकता।
कैलाश जैन ने कहा कि प्रशासन अगर किसी लेवल पर एक्ट में कोई संसोधन करना जरूरी समझता है तो वह अधिनियम में संशोधन करने का उचित प्रस्ताव संसद में पारित कराने की सिफारिश के साथ केंद्र सरकार को भेज सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासन को अधिनियम में संशोधन के लिये केंद्र सरकार को केवल सिफारिश करने का ही अधिकार है ।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशासन को पहले यह बताना चाहिये कि उसके पास भवन नियम उल्लंघन और परिसर के दुरूपयोग की क्या परिभाषा और पैमाना है। उन्होंने दावा किया कि ऐसी कोई परिभ्राषा और पैमाना प्रशासन के पास नहीं है इसलिए पहले बिल्डिंग वॉयलेशन औऱ मिसयूज ऑफ प्रीमाईसिस को ठीक से व पूर्ण रूप से परिभाषित किया जाए। उन्होंने पुन: सम्बंधित अधिकारियों से उक्त नोटिस/प्रस्ताव को रद्द करने और शहर के लोगों के साथ न्याय करने का अनुरोध किया
इस अवसर पर कैलाश जैन ने घोषणा की कि इसके बावजूद भी अगर प्रशासन जबरदस्ती यह संशोधन करने की कोशिश करेगा तो उद्योग व्यापार मंडल प्रशासन के इस गैरकानूनी एक्शन को कोर्ट में चुनौती देगा तथा जन आंदोलन चलाया जाएगा जिसके तहत सभी मार्केटो में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
प्रेस वार्ता में कैलाश जैन के साथ चंडीगढ़ बिज़नेस कॉउन्सिल के महासचिव एलसी अरोड़ा,फर्नीचर एसोसिएशन के प्रधान नरेश कुमार, यूवीएम के महासचिव विरेंद्र गुलेरिया, सचिव नरेश जैन, विजय पाल सांगवान, सुशील जैन, सन्दीप चौधरी, नरेश अरोडा, प्रदीप बंसल,व शिव पूरी भी उपस्थित रहे।